मेघ
भगतों में क्या कोई स्वतंत्रता
सेनानी भी हुआ है इसे लेकर
कइयों के मन में सवाल उठते
होंगे.
मेरे
मन में भी यह सवाल था सो मैंने
बहुतों से पूछा लेकिन कभी किसी
ने 'हाँ'
में
जवाब नहीं दिया.
यही
सवाल मैंने दीनानगर से आई
बिटिया सुश्री अनीता भगत से
किया तो उन्होंने हाँ कह कर
मुझे चौंका दिया.
फिर
उन्होंने अपने साथ हिमाचल से
आई एक और बिटिया ज्योति के
परिवार का उल्लेख किया जो मेघ
भगत हैं और जिनके दादा जी
स्वतंत्रता सेनानी थे.
उनके
बारे में जितनी जानकारी एकदम
ज्ञात हो सकी वह उन्होंने
वाट्सएप्प के ज़रिए भिजवाई.
फोटो
भी उपलब्ध कराए जो आप सब की
जानकारी के लिए दिए जा रहे
हैं.
एक
ऐसा स्वतंत्रता सेनानी जिसके
शरीर पर गोलियों के छह निशान
थे.
नाम
-
श्री
नरपत सिंह सुपुत्र श्री चिरजी
लाल,
गाँव
बफड़ीं
तहसील
और ज़िला हमीरपुर (हिमाचल
प्रदेश)
जीवन
काल -
1914-1992
शिक्षा
-
मिडल
जिस
जेल में रहे -
लाहौर,
मुलतान
राज्य
सरकार और केंद्र सरकार द्वारा
ताम्र पत्र प्रदान किया गया
पत्नी
-
श्रीमती
मनसा देवी
संतानें
-
पाँच
बेटे और चार बेटियाँ
वे
देश भक्ति के गीत गाने वाले
गायक भी थे
उऩके
गाँव की ग्राम पंचायत ने बफड़ीं
में उनके गौरव सम्मान के लिए
स्मृति द्वार बनवाया है.
(श्री
नरपत सिंह जी के जीवन संबंधी
अन्य ब्यौरों की प्रतीक्षा
रहेगी.)
मास्टर नरपत सिंह |
स्मृति द्वार |
Thankyou so much for this all
ReplyDeleteU cnt even imagine my happiness sir. Its just because of u. M extremly hapi today..
ReplyDeletethankyou thankyou thankyou soooo much
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U cnt even imagine my happiness sir. Its just because of u. M extremly hapi today..
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सर
ReplyDeleteमेघ भगतों में एक और स्वतंत्रता सैनानी हुए हैं श्री तेजूराम जो मेघवाल जिनके बारे में जानकारी मैं नीचे दे रहा हूँ
*पश्चिम में क्रांति के अग्रदूत श्री तेजूराम मेघवाल*
ReplyDeleteकहते हैं देश की आज़ादी की जंग सिंध (पश्चिम )और बंगाल(पूर्व) से शुरू होती है और उत्तर भारत के सपाट मैदानों में आकर परवान चढ़ती है। पश्चिम में थारपारकर,मीरपुर खास आदि जिलों में मेघ इसके अगुआ क्रन्तिकारी थे, जिन में तेजूराम जी मेघवाल एवं नरपत सिंह जी मेघ प्रमुख हैं। आज हम तेजूराम जी के बारे में जानेंगे।
स्व. तेजूराम जी मेघवाल का जन्म 3 सितंबर 1921 को गुलाम भारत के पाकिस्तान में हुआ। पारिवारिक मज़बूरियों के चलते उनकी शिक्षा सिर्फ 8 वीं कक्षा तक ही हो पाई। उसके बाद वे समाज सुधार के कार्यों में लग गए। वे गांधी आश्रमों से जुड़कर लोगों को स्वावलंबन का पाठ भी पढाने लगे एवं लोगों को स्वाधीनता संग्राम के प्रति जाग्रत किया। उन्होंने सिंध प्रांत के कई गांवों में जनजागरण का कार्य किया।
वे सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन एवं अन्य कई दफा स्वतंत्रता आंदोलनों में जेल भी गये। परंतु इससे वे जरा भी नहीं विचलित हुए ।
देश आजाद होने के बाद वे बाड़मेर के गडरारोड में आ गए और सामाजिक सुधार के कार्यक्रमों में लगातार संलग्न रहे। भारत सरकार ने उन्हें ताम्र पत्र से नवाजा। 17 अगस्त 2004 को गडरारोड में ही उनका देहावसान हो गया। उनको सेना के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पूरा गडरा रोड तेजूराम मेघवाल के जय-जयकारों से गूँज उठा। तत्पश्चात गडरारोड के हाई स्कूल का नाम उन्हीं के नाम पर ( श्री तेजूराम मेघवाल स्वतंत्रता सैनानी रा.उ. मा. वि. गडरारोड )पड़ा। सम्भवतः पूरे राजस्थान में दलित वर्ग से तेजूराम मेघवाल ही एकमात्र ऐसे ज्ञात स्वतंत्रता सैनानी है , जिनके नाम से सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय है।
तेजूराम जी हमारे समाज के साहस, बहादुरी और गौरव के पुंज हैं। उनको शत-शत नमन
(लेख की पृष्ठभूमि- ताराराम गौतम द्वारा लिखित पुस्तक 'मेघों का इतिहास')