Dr. Kusum Meghwal |
डॉ.
कुसुम
मेघवाल का जन्म 29
अप्रैल
1948
राजस्थान
के उदयपुर नगर में हुआ.
उन्होंने
1964 में
हायर सैकेंड्री परीक्षा
उत्तीर्ण की.
इसी
वर्ष चित्तौड़गढ के छोटी
सादड़ी में विवाह हुआ.
दो
पुत्रों की माता के रूप में
दस वर्षों तक खेती एवं घर
गृहस्थी का कार्य करती रहीं.
विवाह
के दस वर्ष बाद पुनः पढाई
प्रारम्भ की.
1973 में
बान्सी गाँव में अध्यापिका
के पद पर प्रथम नियुक्ति हुई.
1975 में
सुखाड़िया विश्वविधालय में
लाइब्रेरी में नियुक्ति हुई.
वर्ष
1977 में
राजस्थान विश्वविद्यालय से
स्वयंपाठी के रूप में विभिन्न
कठिनाइयों के साथ बी.ए.
किया
तथा 1979
में
हिन्दी में एम.ए.
की
डिग्री प्राप्त की.
वर्ष
1985 में
सुखाड़िया विश्वविद्यालय से
"हिन्दी
उपन्यासों में दलित वर्ग"
नामक
शोधग्रन्थ पर डॉक्टरेट
(पीएच.डी.)
की.
1988 में
एल.एल.बी.
द्वितीय
वर्ष तक इन्होंने अध्ययन किया.
वर्ष
1980 में
भारत सरकार के उपक्रम-
'हिन्दुस्तान
ज़िंक लिमिटेड'
के
उदयपुर स्थित मुख्य कार्यालय
में राजभाषा अधिकारी के पद
पर नियुक्ति.
लगातार
20
वर्षों
तक वहाँ कार्यरत रहीं.
हि.जि.अ.जा.ज.जा.
कर्मचारी
संघ का गठन.
अन्य
कल्याणकारी संस्थाओं का गठन
एवं राष्ट्रीय संस्थाओं में
सक्रिय भूमिका निभाई जिनका
मुख्य कार्य बाबा साहेब डॉ.
आंबेडकर
के विचारों का प्रचार-प्रसार
और लोगों को उनके अधिकारों
के प्रति जागरूक करना था.
दिल्ली
एवं जयपुर दूरदर्शन पर इनके
द्वारा किए गए साक्षात्कार
एवं वार्ताएँ प्रसारित हुई
हैं (मुख्य विषय).
राष्ट्रीय
स्तर की पत्र-पत्रिकाओं
में लगभग 60
लेख
एवं कहानियाँ प्रकाशित.
आकाशवाणी
बीकानेर उदयपुर एवं जयपुर से
भी अनेक कहानियाँ एवं वार्ताएं
प्रसारित हुई हैं.
50
पुस्तकों
का प्रकाशन एवं एक फिल्म "मैं
भी एक इन्सान हूँ"
का
निर्माण। बाबा
साहेब के विचारों के प्रचार-प्रसार
के उद्देश्य से वर्ष 1991
से
निरन्तर 22
वर्षों
से भीम डायरी का प्रकाशन का
कार्य किया.
अब
तक दो अन्तर्राष्ट्रीय,
छः
राष्ट्रीय एवं अनेक राज्य
स्तरीय पुरस्कार (नाम?)
प्राप्त.
अब
तक निम्नलिखित पुस्तकें
प्रकाशित-
1-हिंदी
उपन्यासों में दलित वर्ग,
2.हिंदी
उपन्यासों में दलित नारी,
3.कांग्रेस
और गांधी ने अछूतों के लिए
क्या किया,
4.जुड़ते
दायित्व -
कहानी
संग्रह,
5.इस
नारी को पहचान -
काव्य
कृति,
6.बाबा
साहेब डॉ.
आंबेडकर
2 (हिंदी
में गुजराती में)
7.बाबा
साहेब के अनुयायी बौद्ध क्यों
नहीं,
8.भारतीय
नारी के उद्धारक-
डॉ.
अंबेडकर,
9.आर्थिक
आधार पर आरक्षण-
एक
साजिश,
10.दलितों
के दुश्मन थे गांधी,
11.पंद्रह
प्रतिशत मनुवादियों का शासन
उखाड़ फेंको-
उत्तर
प्रदेश में बसपा सरकार की
उपलब्धियाँ,
12.कांग्रेस
और गांधी आड़े नही आते तो डॉ.
अंबेडकर
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
होते,
13.भारतीय
राजनीति के आंदोलनकर्त्ता-
कांशीराम,
14.त्याग,
तप,
कर्मशीलता
और सादगी की प्रतिमूर्ति-
माँ
मोतीबाई मेघवाल,
15.खूब
लड़ी मर्दानी वह तो लक्ष्मी
नहीं झलकारी थी,
16.अनुसूचित
जाति/जनजाति
अत्याचार अधिनियम 1989
(संकलन)
17.अवतारवाद
के शिकार एक क्रान्तिकारी
महामानव-
मेघवाल
बाबा रामदेव
18.मूलनिवासियो
के त्योहार-
ब्राह्मणवाद
षडयंत्र के शिकार,
19.भारत
में स्त्री दास्य,
20.डॉ.
बाबा
साहेब अंबेडकर-
पहली
बाल पोथी, जैसी
कुल 50
पुस्तकें
लिखी.
समाज
सेवा विशेषतः असहाय बालकों
एवं वृद्धों की सेवा में रुचि
रही है. 1980
में
महिला सेवा संघ सहित अनेकों
संगठनों की स्थापना.
राष्ट्रीय
संगठनों और
सामाजिक कार्यों में पर्याप्त
एवं सक्रिय भागीदारी.
कुछ
वर्षों तक राजनीति में सक्रिय
रहीं.
एम.एल.ए.
के
दो एवं एम.पी
का एक चुनाव लड़ा.
वर्तमान
में पूर्ण रूप से सामाजिक
व्यवस्था परिवर्तन के लिए
बाबा साहेब मिशन एवं विचारधारा
के प्रचार-प्रसार
हेतु राष्ट्रीय बौद्ध महापरिषद
तथा अखिल भारतीय संवैधानिक
अधिकार संरक्षण मंच का गठन
कर राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत
हैं.
पूरे
भारत में 'संविधान
संरक्षण यात्रा'
द्वारा
जागरूकता लाने का कार्य किया. जागरण यात्रा- 9000
किमी, 25 दिन, 25
यात्री, एक बड़ी बस द्वारा.
दैनिक
समाचार पत्र "परिवर्तन
प्रभाकर"
एवं
त्रैमासिक पत्रिका "अस्मिता"
का
प्रकाशन पिछले चार वर्षों से
निरन्तर जारी है.
(सूचना उपलब्ध कराने के लिए श्री राज बोस का आभार)
थोड़ा जातिवाद से बहार निकलें दुनियां में बहुत कुछ अच्छा भी है
ReplyDeleteBahut giri soch hai aapki...
DeleteAur jo kathan tune maharana pratap ke baare me likhe hai ....
Tu na apne jatiwaad aur ye secularism ki aad me jo dhandha kar rahi hai...
Tu nihayati ghatiya aurat hai..
Tujhko PhD ki upaadhi dena hi sabse sharm ki baat hai ...
Aaa thu thu thu..😏😏😈😈😈
I am agree with you
Deleteअभी कुछ दिन पहले ही दूल्हे को पुलिस प्रोटेक्शन में बंदौली निकालनी पड़ी
ReplyDeleteधमकियां मिलती है घोड़ी पर नही बैठोगे डीजे नही बजाने देंगे क्यों
राजपूत सर बताइये ?
kyoki vo only rajputo ki prampra hai.. salo tumare bap dada ne godi bhi dekhi thi kya.. tum jo sahe vo kr rhe ho aransan mil gya isliye kya haramjado..... me kasam khata hu jis din mera samna kisi meghwal se huaa ush din ush ko me mar dalunga pr jinda jane nhi dunga
ReplyDeleteHmae moka nahi diya aapne varna ham bhi matru bhuminke liye sar kata sakte he
DeleteAaj hamre bhi log botdar par rajputo ke sath kandhe se kandha mila kar apni matru bhumi ki rakhaa kar rahe he
आज वो #महाराणा_प्रताप पे लिख रही है
ReplyDeleteजिसके पूर्वज #महाराणा के जुते बनाते थे
#आरक्षण
आज वो #महाराणा_प्रताप पे लिख रही है
ReplyDeleteजिसके पूर्वज #महाराणा के जुते बनाते थे
#आरक्षण
जिनकै खुद का DNA तो पडोसी से मिलता हे
ReplyDeleteवो अब बताएंगे की "महाराणा प्रताप " कोन है
Tuje pata he tere DNA ki ya batau
Deleteकैसे मिर्ची लग गई बड़े-बड़े लोगों को और उन लोगों ने साबित भी कर दिया बड़ी बड़ी चीज है और ऐसो आराम शादी व्याह में घोड़ों का इस्तेमाल होना बस इनकी ही परंपरा है और और जब कुछ बोलना नहीं आया तो गाली देना शुरु जान से मारने की धमकी, और कर भी क्या सकते हैं ज्यादा ज्ञान तो है नहीं जहां अज्ञानता है वहां गाली है और हिंसा है
ReplyDeleteएकदम सही लिखा आपने सर इनकी सोच बस यहां तक सिमीत है। पढाई लिखाई करनी नहीं।बस ऊंच-नीच की मानसिकता है इनके मन में वही सोच सोच कर कीड़े मकोड़े की तरह मर दो अज्ञान अज्ञान रहेंगे।
Deleteकैसे मिर्ची लग गई बड़े-बड़े लोगों को और उन लोगों ने साबित भी कर दिया बड़ी बड़ी चीज है और ऐसो आराम शादी व्याह में घोड़ों का इस्तेमाल होना बस इनकी ही परंपरा है और और जब कुछ बोलना नहीं आया तो गाली देना शुरु जान से मारने की धमकी, और कर भी क्या सकते हैं ज्यादा ज्ञान तो है नहीं जहां अज्ञानता है वहां गाली है और हिंसा है
ReplyDeletetere me jyada gyan hai kya salo aarkshan ki badolat ho tum ...tumhare bap dada jo the vahi tum ho ...
ReplyDeleteSaahab bhale hi aarakshan se paya lekin hamare purkhone jaati vaad pida hone k bavjud desh ke vafadari rahe...
DeletePar mene padha hai ki....
Kucch log the Jo apana raaj bachane ke liye Akbar ko bhi damad bana liya tha...
Kya yah sahi hai ki?
दो दिन पहले सोशल मीडीया में एक लेखिका (डॉ कुसुम मेघवाल) की पुस्तक का मुख पृष्ठ देखा ! कीताब का शीर्षक देख कर बडी हैरानी व अचरज हुआ ! कुंठित मानसिकता एवं पुर्वाग्रह की भी हद होती है ! एक तरफ देश मंगल ग्रह पर पैर जमाने की कोशिश कर रहा है वही दुसरी तरफ ये संकिर्ण मानसिकता की वजह से इतिहास के पुरौधाओं को हडपने में लगे हुए है, जो देश ही नही अपितु सम्पुर्ण संस्कृति के लिए भी बेहद घातक है ! प्रात: स्मर्णीय महाराणा प्रताप राजपूत योद्धा थे जिसने भील समाज के राणा पूंजा को मेवाड के चिन्ह में उस दौर में सर्वोच्च स्थान देकर न केवल सामाजिक समरसता का उदाहरण पेश कीया था अपितु राजपुत के श्रेष्ठ नैतृत्व का उदाहरण भी पेश कीया था ! मैं लेखिका का ध्यानाकर्षण करना चाहुंगा कि भील कौम एक मार्शल कौम रही है, जिसने हमेशा क्षत्रिय के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए देशहित के लिए अपने प्राण न्यौछावर कीये थे और आज भी करती है ! भील कौम का सदियों से अपना स्वयं का गौरवशाली इतिहास रहा है, कीसी दुसरे समाज के वीर को हड़पने की कोई आवश्यकता नहीं है ! आज देश जिस संकटो से गुजर रहा है ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को अपने पुर्वाग्रह व घटिया मानसिकता को त्यागते हुए देश के साथ खडा़ रहना होगा! अन्यथा वह दिन दुर नहीं जब भारत के और टूकडे़ हो जाय ! मैं भील समाज के युवाओं को आह्वान करता हूं कि आज भी अपने समाज में शिक्षा का स्तर अत्यंत न्युन है ! बाबा साहब भी कहा करते थे कि शिक्षा शेरनी का दूध है जिसे पीकर हर कोई दहाड़ सकता है ! तो हमें भी शिक्षा की तरफ बढकर एक नया आयाम व इतिहास स्थापित करना होगा ! अपना समाज शिक्षा में अत्यंत पिछडा़ होने की वजह से अपने आरक्षण का बडा़ हिस्सा एक वर्ग विशेष हड़प लेता है, उसकी तरफ हमें ध्यान देना होगा ! स्वयं के समाज से महापुरूष पैदा करने होंगे ! दुसरे समाज से उधार लिए गये महापुरूषों से कोई इतिहास नहीं लिखा जा सकता है !
ReplyDeleteजय राणा प्रताप - जय पूंजा महाराज
---------------
आपका - अर्जून राणा (भील)
भील महासभा डूंगरपूर
दो दिन पहले सोशल मीडीया में एक लेखिका (डॉ कुसुम मेघवाल) की पुस्तक का मुख पृष्ठ देखा ! कीताब का शीर्षक देख कर बडी हैरानी व अचरज हुआ ! कुंठित मानसिकता एवं पुर्वाग्रह की भी हद होती है ! एक तरफ देश मंगल ग्रह पर पैर जमाने की कोशिश कर रहा है वही दुसरी तरफ ये संकिर्ण मानसिकता की वजह से इतिहास के पुरौधाओं को हडपने में लगे हुए है, जो देश ही नही अपितु सम्पुर्ण संस्कृति के लिए भी बेहद घातक है ! प्रात: स्मर्णीय महाराणा प्रताप राजपूत योद्धा थे जिसने भील समाज के राणा पूंजा को मेवाड के चिन्ह में उस दौर में सर्वोच्च स्थान देकर न केवल सामाजिक समरसता का उदाहरण पेश कीया था अपितु राजपुत के श्रेष्ठ नैतृत्व का उदाहरण भी पेश कीया था ! मैं लेखिका का ध्यानाकर्षण करना चाहुंगा कि भील कौम एक मार्शल कौम रही है, जिसने हमेशा क्षत्रिय के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए देशहित के लिए अपने प्राण न्यौछावर कीये थे और आज भी करती है ! भील कौम का सदियों से अपना स्वयं का गौरवशाली इतिहास रहा है, कीसी दुसरे समाज के वीर को हड़पने की कोई आवश्यकता नहीं है ! आज देश जिस संकटो से गुजर रहा है ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को अपने पुर्वाग्रह व घटिया मानसिकता को त्यागते हुए देश के साथ खडा़ रहना होगा! अन्यथा वह दिन दुर नहीं जब भारत के और टूकडे़ हो जाय ! मैं भील समाज के युवाओं को आह्वान करता हूं कि आज भी अपने समाज में शिक्षा का स्तर अत्यंत न्युन है ! बाबा साहब भी कहा करते थे कि शिक्षा शेरनी का दूध है जिसे पीकर हर कोई दहाड़ सकता है ! तो हमें भी शिक्षा की तरफ बढकर एक नया आयाम व इतिहास स्थापित करना होगा ! अपना समाज शिक्षा में अत्यंत पिछडा़ होने की वजह से अपने आरक्षण का बडा़ हिस्सा एक वर्ग विशेष हड़प लेता है, उसकी तरफ हमें ध्यान देना होगा ! स्वयं के समाज से महापुरूष पैदा करने होंगे ! दुसरे समाज से उधार लिए गये महापुरूषों से कोई इतिहास नहीं लिखा जा सकता है !
ReplyDeleteजय राणा प्रताप - जय पूंजा महाराज
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आपका - अर्जून राणा (भील)
भील महासभा डूंगरपूर
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ReplyDeleteजयभीम नमो बुद्धाय
ReplyDeleteजयभीम नमो बुद्धाय
ReplyDeleteराणा दुर्गेश सिंह जिला अध्यक्ष समाजवादी पार्टी जिला बडवानी मध्य प्रदेश से भीलाला साम्राज्य है भीलाला जनजाति है आदीवासी धर्म है मैं भीलाला हू +917000635187 /+919425326879
ReplyDeleteबाबा रामदेव पीर के केस का कृपया जोधपुर उच्च न्यायालय के फैसले का विवरण दिजिए, केस नंबर, कब केस दर्ज हुआ, कौन वादी और प्रतिवादी थे ? फैसला कब आया ?
ReplyDeleteJai bhim
ReplyDeleteआपके जन्मदिन पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDelete- डी सी मौर्य (पूर्व प्रांतीय कोषाध्यक्ष) दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया शाखा मध्यप्रदेश
- दबोह जिला भिंड मध्यप्रदेश
Johar
ReplyDeleteSathiyo
सैल्युट
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